शास्त्रों में नाम-स्मरण को मोक्ष का सरलतम मार्ग बताया गया है। कलियुग में तो केवल प्रभु के नाम का जप ही संकटों का नाश करने वाला माना जाता है। ऐसे में हनुमान जी की उपासना विशेष फलदायी है, क्योंकि वे चिरंजीवी हैं और भक्तों की पुकार तत्काल सुनते हैं। आनंद रामायण में उनके बारह नामों का वर्णन मिलता है, जिनका नियमित जप जीवन की हर बाधा को दूर करने में सक्षम माना गया है। आइए, इन नामों के अर्थ, महत्त्व और उनकी चमत्कारी शक्ति को जानें।
हनुमान जी को "कलियुग का देवता" कहा जाता है। मान्यता है कि वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं और भक्तों के दुःख हरते हैं। रामभक्ति, अटूट बल, और अष्ट सिद्धि-नव निधि के स्वामी होने के कारण उनकी कृपा से भक्त हर संकट से मुक्त हो जाते हैं। हनुमान जी के 12 नाम (12 Names of Hanuman Ji) जप न केवल भय दूर करता है, बल्कि आत्मविश्वास, साहस और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करता है।
आनंद रामायण में वर्णित ये बारह नाम हनुमान जी के गुणों, कार्यों और दिव्य शक्तियों को दर्शाते हैं। प्रत्येक नाम का विशेष अर्थ और महिमा है:
मंत्र: ॐ श्री हनुमते नमः
अर्थ: "हनु" (ठोड़ी) और "मान" (विहीन), अर्थात् जिनकी ठोड़ी विशाल थी।
महत्त्व: यह नाम उनके बाल्यकाल की लीलाओं का प्रतीक है। इसे जपने से बुद्धि और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है।
मंत्र: ॐ अंजनी सुताय नमः
अर्थ: माता अंजनी के पुत्र।
महत्त्व: मातृभक्ति का प्रतीक। इस नाम से जप करने पर पारिवारिक समृद्धि और सुख मिलता है।
मंत्र: ॐ वायुपुत्राय नमः
अर्थ: वायु देवता के पुत्र।
महत्त्व: प्राणशक्ति और गतिशीलता प्रदान करने वाला। इससे श्वास संबंधी रोगों में लाभ मिलता है।
मंत्र: ॐ महाबलाय नमः
अर्थ: अतुल्य बलशाली।
महत्त्व: शारीरिक व मानसिक शक्ति बढ़ाने हेतु इस नाम का जप करें।
मंत्र: ॐ रामेष्ठाय नमः
अर्थ: श्रीराम के प्रिय
महत्त्व: भगवान राम की कृपा पाने के लिए यह नाम सर्वोत्तम है। यह भक्ति और समर्पण को जगाता है।
मंत्र: ॐ फाल्गुन सखाय नमः
अर्थ: अर्जुन (फाल्गुन) के मित्र।
महत्त्व: मित्रता और निष्ठा का प्रतीक। संकट में सहायक बनने वाला यह नाम समाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: लाल-पीली आँखों वाला।
महत्त्व: नेत्र रोगों से बचाव और दूरदर्शिता प्रदान करने वाला।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: अथाह पराक्रमी।
महत्त्व: डर व आत्मसंदेह को दूर करता है। साहस और निर्णय क्षमता बढ़ाता है।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: समुद्र को लाँघने वाला।
महत्त्व: असंभव लक्ष्यों को पूरा करने की शक्ति देता है। यह नाम आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: सीता जी के दुःख का नाश करने वाला।
महत्त्व: मानसिक शांति और दुःखों से मुक्ति दिलाता है। गृहकलह शांत करने के लिए उपयोगी।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: लक्ष्मण जी के प्राणों के रक्षक।
महत्त्व: स्वास्थ्य संबंधी संकटों से बचाव करता है। आयु और ऊर्जा बढ़ाने वाला।
मंत्र: ॐ पिंगाक्षाय नमः
अर्थ: रावण के अहंकार का विनाशक।
महत्त्व: शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। यह नाम अहंकार को समाप्त करता है।
विधि: प्रातः स्नानादि के पश्चात हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। फिर इन बारह नामों की माला (108 बार) जपें। लाल चंदन या सिंदूर से हनुमान जी की पूजा करें।
लाभ: इन नामों के नियमित जप से भय, रोग, शत्रु और कर्ज से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है और आध्यात्मिक प्रगति होती है। कलियुग में यह साधना त्वरित फल देने वाली मानी गई है।
हनुमान जी के बारह नाम (Hanuman JI Ke 12 Naam) उनके विविध गुणों और करुणा का द्योतक हैं। इनका स्मरण मनुष्य को आंतरिक शक्ति और दैवीय सुरक्षा प्रदान करता है। जैसा कि हनुमान चालीसा में कहा गया है:
"भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै।"
अर्थात, हनुमान का नाम लेते ही भूत-पिशाच भी दूर भाग जाते हैं। इसलिए, इन नामों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और हनुमान जी की असीम कृपा का अनुभव करें।